पितृपक्ष के लगते ही लोग पिंडदान कर अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं। इस संबंध रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो पिंडदान करने का सबसे उत्तम समय यही है, इस समय जो लोग पिंडदान करेंगे तो उनके पूर्वजों, जो।स्वर्गवासी हो गए हैं, उन्हें प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष में सबसे पहले स्नान कर विधि विधान के साथ पिंडदान करना चाहिए। उनका कहना है कि इस पितृ पक्ष में पितृ अपने लोगों से पिंडदान करने का इंतजार करते हैं और यदि उन्हें पिंडदान कोई नही करता है, तो वह निराश हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि पितरों को चावल, दूध व मिष्ठान अर्पण करने का विधान है, उन्होंने बताया कि दूर-दूर से अयोध्या आते हैं और सरयू नदी में स्नान कर अपने पितरों को पिंडदान करते हैं, इसके अलावा भरतकुंड पर भी लोग भारी संख्या में पहुंचकर वहां भी पिंडदान करते है, जिसका अलग महत्व है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा लोग गया जी जाकर अपने पितरों को पिंड देते हैं।
अयोध्या : भरतकुंड पर पिंडदान करना भी एक अलग महत्व है।
